श्री अग्रसेन कन्या पी .जी. कॉलेज, वाराणसी में दिनांक 23.06. 2024 को पुरातन छात्रा समागम के अंतर्गत अनुभूति कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती तथा महाराज श्री अग्रसेन की प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्जवलन से हुआ। छात्राओं ने सरस्वती वंदना कुलगीत, स्वागत गीत की प्रस्तुति दी। प्राचार्य प्रोफेसर मिथिलेश सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में अतिथि देवतुल्य होते हैं किंतु आज के इस कार्यक्रम के अतिथि महाविद्यालय के पुरातन विद्यार्थी भी है। पुरातन का संबंध केवल अतीत से नहीं होता बल्कि इस पर वर्तमान एवं भविष्य निर्भर करता है इसीलिए पुरातन छात्राएं महाविद्यालय की नीव है । समय एक लम्हा है जब हम अर्से बाद कॉलेज में लौटते हैं उसकी स्मृतियां हमारे अंदर अनुभूति जाग्रत करती है । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्रीमती मृदुला जयसवाल ,पूर्व महापौर वाराणसी, विशिष्ट अतिथि प्रो नीलम अत्री, वनस्पति विभाग का. हि. वि. वाराणसी, सुश्री मनोकामना राय, जिला सूचना अधिकारी जौनपुर, डॉ संगीता, प्रवक्ता पं. कमलापति त्रिपाठी राजकीय पी .जी. कॉलेज चंदौली का स्वागत प्रबंधक डॉ मधु अग्रवाल, सहायक मंत्री डॉ रूबी शाह, प्राचार्य प्रोफेसर मिथिलेश सिंह ने स्मृति चिन्ह , अंगवस्त्र , पुष्पगुच्छ प्रदान कर किया। डॉ मीना अग्रवाल एवं डॉ अर्चना सिंह ने अतिथियों को बैज लगाकर सम्मानित किया।प्रबंध तंत्र की सहायक मंत्री डॉ रूबी शाह ने कहा कि महाविद्यालय 50 वर्ष पूर्ण करने के साथ ही इस बात पर भी गौरवान्वित है कि आज उसकी अनेक पुरातन छात्राएं विविध क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर रही हैं। मुख्य अतिथि श्रीमती मृदुला जायसवाल ने अपने स्वर्णिम स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि यह महाविद्यालय उत्तर प्रदेश का प्रथम स्वायत्तशासी महिला महाविद्यालय है जिसने स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके अंदर भी राजनीतिक चेतना का सृजन इसी महाविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करते हुए हुआ था। महिलाओं को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि स्वयं को सशक्त समझिए कार्यक्षेत्र कोई भी हो लेकिन अपनी पहचान अवश्य होनी चाहिए।समाज में स्त्री और पुरुष का सम्मान समान होना चाहिए और इसके लिए हम सभी को लगातार प्रयास करना है। विशिष्ट अतिथियों के क्रम में प्रो. नीलम अत्री ने कहा कि कभी भी किसी संस्था को ग्रेड वाइज नहीं देखना चाहिए ,शिक्षा हर जगह समान है, शिक्षक हर जगह समान है आप उनसे क्या ग्रहण करते हैं यह महत्वपूर्ण है। सफलता का मूल मंत्र है कर्मठता एवं सच्ची लगन। डॉ निलय कुमार सिंह ने अपनी अनुभूति साझा करते हुए कहा कि समाज में अच्छे लोगों के न मिलने का सबसे बड़ा कारण है नैतिकता का अभाव। शैक्षिक संस्थाएं विद्यार्थी में नैतिकता का विकास करती है और सर्व कल्याणकारी भावना का सृजन करती है। डॉ संगीता ने कहा कि गुरु आपका मार्गदर्शन होता है यदि वह आपको मिल जाए तो आपका जीवन सफल हो जाता है। शिक्षक से यदि हम कुछ ग्रहण करते हैं तो जीवन में सफलता निश्चित है। सुश्री मनोकामना राय ने अपनी अनुभूति साझा करते हुए कहा कि एल आई सी की पॉलिसी होती है 'जिंदगी के साथ भी जिंदगी के बाद भी' किसी भी विद्यार्थी के जीवन में शैक्षाणिक संस्था भी वैसी ही होती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रबंधक डॉ मधु अग्रवाल ने की और कहा कि संस्था एक मापदंड होती है, जो एक समय पर रुक कर पीछे देखती है कि उसने क्या उपलब्धि हासिल की है। और इस उपलब्धि में उस संस्था के विद्यार्थियों का अमूल्य योगदान होता है। कार्यक्रम में छात्राओं द्वारा विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सुंदर प्रस्तुति दी गई । महाविद्यालय की कल से आज तक की विकास यात्रा पर आधारित वृतचित्र भी प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का सुंदर संचालन कार्यक्रम की समन्वयक प्रो. आभा सक्सेना ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम की सचिव डॉ मंजरी श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम में प्रो. अनीता सिंह, डॉ. श्रृंखला, डॉ. नंदिनी पटेल, डॉ उषा चौधरी ,डॉ सीमा अस्थाना ,डॉ. वंदना उपाध्यक्ष डॉ.विभा सिंह , डॉ शिवानी शुक्ला , श्रीमती चेतना गुजराती, डॉ. शालिनी श्रीवास्तव ,ले.उषा बालचंदानी डॉ.,दिव्या राय तथा श्रीमती माधुरी इत्यादि अनेक प्रवक्तागण एवं पुरातन छात्राएं उपस्थित रही।
डॉ श्रृंखला
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